UP Teacher digital attendance Order: हाइकोर्ट का बड़ा फैसला! यूपी के शिक्षकों की लगेगी डिजिटल हाजिरी, विभाग ने शुरू की तैयारी 2025

UP Teacher Digital Attendance Order: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर इलाहाबाद High Court में बड़ा फैसला सुनाया है न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की ओर से दिए गए आदेश के अनुसार शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस लगाई जाने के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया है जोकि शिक्षकों की उपस्थिति को सुनिश्चित कर सके और जमीनी स्तर पर व्यावहारिक हो आगे कोर्ट में स्पष्ट किया कि शिक्षण कार्य बिना शिक्षकों की उपस्थिति के संभव ही नहीं है ग्रामीण इलाकों के बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है ऐसा करना शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा।

कोर्ट ने कहा तकनीकी युग में डिजिटल अटेंडेंस जरूरी

High Court ने अपने आदेश में कहा कि आजादी के बाद से अब तक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए गए हैं न ही इसको लेकर कोई सिस्टम तैयार किया गया है अब तकनीकी युग आ चुका है और शिक्षकों की उपस्थिति वर्चुअल या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दर्ज होनी चाहिए जिससे शिक्षण कार्य की पारदर्शिता पूरी तरह बनी रहे और स्कूलों में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति भी सुनिश्चित की जा सके इसके साथ-साथ बच्चों को भी उनका अधिकार मिल सके।

लगानी होगी डिजिटल अटेंडेंस मिलेगी मामूली रियायत

UP Teacher digital attendance Order: कोर्ट ने कहा कि शिक्षक अगर 5 से 10 मिनट देरी से आते हैं तो उन्हें कुछ रियायत दी जा सकती है लेकिन शिक्षकों के लिए यह आदत नहीं बननी चाहिए सभी शिक्षकों को रोजाना अपने स्कूल में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा और प्रार्थना के समय अटेंडेंस ली जानी चाहिए High Court ने राज्य सरकार को ठोस नीति बनाने का निर्देश दिया है उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देते हुए कहा है

कि जल्द से जल्द नीति तैयार करें जिससे गरीब ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके न्यायालय ने कहा कि बच्चों को शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 21A और 14 के तहत सुनिश्चित किया गया है इसलिए सरकार की पूरी जिम्मेदारी बनती है कि शिक्षक नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित हों।

याचिकाकर्ता डिजिटल अटेंडेंस के लिए तैयार

बता दें इस मामले में याचिकाकर्ता इंदिरा देवी ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह भविष्य में अपनी उपस्थिति और हस्ताक्षर इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर दर्ज करेगी और प्रतिदिन स्कूल में उपस्थित रहेगी कोर्ट ने कहा यदि यह अंडरटेकिंग का पालन करती है और भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराती है तो उन्हें अदालत की ओर से राहत मिलेगी और आदेश को रद्द कर दिया जाएगा बता दें यह मामला बांदा की प्रधानाध्यापक इंदिरा देवी को लेकर था

जिन्होंने High Court में याचिका दाखिल की थी इस मामले की अगली सुनवाई अब 10 नवंबर को होगी 10 नवंबर को राज्य सरकार को बताना होगा कि शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं जिसके आधार पर कोर्ट अपना अंतिम निर्णय देगी हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन अटेंडेंस की तैयारी शुरू कर दी गई है और प्रेरणा पोर्टल पर अटेंडेंस का विकल्प भी उपलब्ध कराया गया है

10 नवंबर को होने वाली सुनवाई में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर बड़ा फैसला आ सकता है हालांकि विभाग में पढ़ने वाले सभी बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस को जरूरी कर दिया गया है लेकिन शिक्षक अभी डिजिटल अटेंडेंस लगाने के लिए तैयार नहीं हैं।

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