Teacher Tet News Today 01 Nov: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! TET पास न करने वाले शिक्षकों को राहत नहीं जाएगी नौकरी, कोर्ट का आदेश किया रद्द

Teacher Tet News Today: शिक्षकों को शिक्षक पात्रता पास न करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के समय टीईटी परीक्षा पास न होने के कारण नौकरी से बर्खास्त होने वाले शिक्षकों को राहत देते हुए उनकी सेवा बहाल करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए नौकरी के दौरान शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने को पर्याप्त मानते हुए दोनों शिक्षकों की बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए उनकी सेवा बहाल करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

कानपुर के दो सहायक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। यह शिक्षक शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद नियुक्त हुए थे और टीईटी पास नहीं थे। हालांकि इन शिक्षकों ने नौकरी में रहते हुए टीईटी परीक्षा पास कर ली थी लेकिन इसके बाद भी विभाग ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था क्योंकि विभाग का कहना था कि नौकरी के समय उनके पास शिक्षक पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र नहीं था। शीर्ष अदालत ने कहा कि बदले नियमों के अनुसार शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कैसे दी शिक्षकों को राहत

Teacher Tet News Today: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए नए नियम के अनुसार 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया था जबकि दोनों शिक्षकों ने 2011 की शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर ली थी। इसके साथ-साथ 2014 में भी टीईटी परीक्षा पास कर लिया था। यहां तक कि बर्खास्तगी की तारीख 12 जुलाई 2018 थी, उस समय दोनों शिक्षक टीईटी पास थे। ऐसे में उन्हें बर्खास्तगी की तारीख पर अयोग्य मानना पूरी तरह से गलत है।

बता दें सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने उत्तर प्रदेश कानपुर के सहायताप्राप्त ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल के शिक्षक उमाकांत और एक अन्य की याचिका पर स्वीकार करते हुए दिया है।

शिक्षकों की बर्खास्तगी गलत

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार कर इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ और एकलपीठ का आदेश खारिज कर दिया। इसके साथ ही दोनों शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश भी रद्द कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बहाल करने का आदेश जारी किया है। दोनों शिक्षकों को किसी भी तरह के बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा।

लेकिन बहाली के बाद भी उनकी नौकरी पहले से जारी नौकरी की तरह ही मानी जाएगी, उन्हें जूनियर भी नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों शिक्षकों को यह कहकर बड़ी राहत दी है कि बर्खास्तगी के समय दोनों शिक्षक टीईटी पास थे, ऐसे में उन्हें अयोग्य मानकर बर्खास्त कर देना पूरी तरह से गलत है।

क्या है पूरा मामला

नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन ने 23 अगस्त 2010 को कक्षा 1 से लेकर 8 तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा जरूरी कर दी थी। यह एक न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गई थी। राज्य सरकार को निर्धारित नियमों के अंतर्गत शिक्षक पात्रता परीक्षा करानी थी। इसके बाद 25 जून 2011 को सहायताप्राप्त विद्यालय ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल के सहायक शिक्षकों के चार पदों की रिक्तियां निकाली गई थीं। दोनों याचियों ने भी आवेदन किया। उत्तर प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को टीईटी परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें एक याची ने 25 नवंबर 2011 को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर ली थी।

इसके बाद13 मार्च 2012 को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोनों शिक्षकों का चयन मंजूर करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया। दोनों शिक्षकों ने 17 मई 2012 को सहायक शिक्षक के पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली। 24 मई 2014 को दूसरे याची ने भी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर ली। इस बीच 9 अगस्त 2017 को आरटीई एक्ट की धारा 23 में संशोधन किया गया जिसमें कहा गया कि 31 मार्च 2015 तक नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करनी है।

वे 4 साल के भीतर इसे पास कर न्यूनतम योग्यता हासिल कर सकते हैं। शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया था। लेकिन 12 मार्च 2018 को दोनों शिक्षकों को नियुक्ति के समय टीईटी पास न होने के कारण बर्खास्त कर दिया गया था और उनकी नियुक्ति का आदेश वापस ले लिया गया था, जिसको उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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