भारत में जमीन और प्रॉपर्टी रजिस्ट्री सिस्टम 2025 से बड़े डिजिटल बदलाव की ओर बढ़ रहा है। नए Land Registry Rules 2025 के तहत अब जमीन की रजिस्ट्री पहले जैसी साधारण कागज़ी प्रक्रिया से नहीं हो पाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि देश की हर जमीन का रिकॉर्ड साफ़, डिजिटल और विवाद-मुक्त हो, ताकि फर्जी रजिस्ट्री और धोखाधड़ी पर कड़ाई से रोक लगाई जा सके।
इन नए नियमों के केंद्र में दो बातें हैं:
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ULIN (Unique Land Identification Number) – हर जमीन के टुकड़े के लिए यूनिक नंबर
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Digital Record of Rights (RoR) – मालिकाना हक़ और अन्य अधिकारों का अपडेटेड डिजिटल रिकॉर्ड
अब बिना इन दोनों के, रजिस्ट्री कराना लगभग असंभव जैसा बना दिया जा रहा है।
ULIN क्या है? जमीन का “आधार नंबर”
ULIN या Unique Land Identification Number जमीन के लिए वैसा ही यूनिक नंबर है, जैसा लोगों के लिए आधार नंबर होता है।
इसकी खास बातें:
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हर प्लॉट/जमीन को एक अलग यूनिक नंबर दिया जाएगा
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यह नंबर उस जमीन के लोकेशन, क्षेत्रफल और नक्शे के आधार पर तैयार होगा
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भविष्य में उसी नंबर से उस जमीन का पूरा इतिहास और रिकॉर्ड ट्रेस किया जा सकेगा
सरकार का इरादा है कि किसी भी जमीन की असली जानकारी का “एक ही सही स्रोत” हो, और वह ULIN ही हो। इससे नकली कागज़, ओवरलैपिंग प्लॉट और दोहरी बिक्री जैसी गड़बड़ियों की संभावना कम हो जाएगी।
Digital Record of Rights (RoR) क्यों बना अनिवार्य?
Record of Rights या RoR वह सरकारी रिकॉर्ड है, जिसमें यह दर्ज होता है कि:
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जमीन का मालिक कौन है
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पहले किन-किन के नाम रही
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उस पर कोई बंधक (लोन/मॉर्गेज) तो नहीं है
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किसी प्रकार का सरकारी विवाद या रोक (जैसे केस आदि) तो नहीं चल रहा
पहले यह रिकॉर्ड अक्सर रजिस्टरों, कागज़ों या आंशिक डिजिटल व्यवस्था में होता था। अब इसे पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में काम हो रहा है।
Digital RoR को अनिवार्य बनाने से:
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रजिस्ट्री से पहले ही पता चल जाएगा कि जमीन बेचने वाला व्यक्ति वास्तव में मालिक है या नहीं
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कोई अदालत या सरकारी रोक तो नहीं है
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जमीन पर पहले से कोई लोन या मॉर्गेज तो नहीं चल रहा
नए नियमों के मुताबिक, यदि डिजिटल RoR अपडेटेड नहीं है, तो रजिस्ट्री की प्रक्रिया रोक दी जा सकती है।
2025 से रजिस्ट्री के लिए क्या-क्या होगा ज़रूरी?
Land Registry Rules 2025 लागू होने के बाद प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के लिए broadly ये मुख्य शर्तें होंगी:
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ULIN अनिवार्य
जिस जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री होनी है, उसके लिए वैध ULIN होना ज़रूरी होगा। रजिस्ट्रेशन सिस्टम उसी नंबर से उस जमीन की जानकारी खींचेगा। -
Digital Record of Rights अनिवार्य
रजिस्ट्री से पहले डिजिटल RoR की ऑनलाइन जांच होगी। यदि रिकॉर्ड में मालिक का नाम अपडेट नहीं है, या mutation नहीं हुआ, तो रजिस्ट्री आगे नहीं बढ़ेगी। -
ऑनलाइन-फर्स्ट रजिस्ट्रेशन सिस्टम
आवेदन, दस्तावेज़ अपलोड, फीस भुगतान और प्राथमिक जांच अधिकतर ऑनलाइन पोर्टल से ही होगी। इससे कागज़ों पर निर्भरता कम होगी। -
वीडियो और डिजिटल वेरिफिकेशन
कई जगह रजिस्ट्री के समय पार्टियों की मौजूदगी की वीडियो रिकॉर्डिंग, फोटो और डिजिटल/बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जा रहा है, ताकि बाद में कोई पक्ष यह न कह सके कि वह मौजूद नहीं था या उसकी सहमति नहीं ली गई। -
रजिस्ट्री ≠ मालिकाना हक़, जब तक रिकॉर्ड अपडेट न हो
नए सोच के तहत यह साफ़ किया जा रहा है कि सिर्फ़ रजिस्ट्री की रसीद मिल जाना ही मालिकाना हक़ का पूरा सबूत नहीं होगा। जब तक राजस्व रिकॉर्ड (mutation और RoR) में नाम नहीं चढ़ता, तब तक कानूनी तौर पर मालिकाना स्थिति अधूरी मानी जा सकती है।
प्रॉपर्टी ख़रीदने वालों के लिए क्या बदलेगा?
नए नियम आम खरीदार के लिए कुछ मुश्किलें भी लाते हैं, लेकिन साथ ही बड़ी सुविधा और सुरक्षा भी देते हैं।
फ़ायदे:
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फर्जी रजिस्ट्री और डुप्लीकेट सेल के मामले कम होंगे
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खरीदार पहले ही डिजिटल RoR और ULIN के आधार पर टाइटल क्लियर या विवादित होने का अंदाज़ा लगा सकेगा
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पुराने, फटे, अस्पष्ट कागज़ों की जगह सरकारी डिजिटल रिकॉर्ड को बढ़ी कानूनी ताकत मिलेगी
चुनौतियाँ:
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रजिस्ट्री से पहले खरीदार को यह चेक करना होगा कि जमीन का ULIN सही है
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डिजिटल RoR में मालिक का नाम, क्षेत्रफल और अन्य जानकारी ठीक से अपडेट है या नहीं
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अगर रिकॉर्ड गड़बड़ है, तो पहले उसे सही करवाने में समय लग सकता है, जिससे डील डिले हो सकती है
जमीन बेचने वालों के लिए नई तैयारी
अगर कोई व्यक्ति अपनी जमीन या मकान बेचना चाहता है, तो नए नियमों के बाद उसे पहले ये बातें सुनिश्चित करनी होंगी:
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जमीन के लिए ULIN बन चुका है या नहीं
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राजस्व विभाग में mutation होकर उसके नाम से जमीन दर्ज है या नहीं
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डिजिटल RoR में उसकी जानकारी सही दर्ज है या नहीं
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कोई बकाया टैक्स, केस या रोक तो नहीं लगी हुई
ऐसा न करने पर रजिस्ट्रेशन ऑफिस में रजिस्ट्री फंस सकती है या वापस हो सकती है। इसलिए भविष्य में प्रॉपर्टी बेचने की इच्छा रखने वालों के लिए जरूरी है कि वे पहले से अपने रिकॉर्ड साफ़ और अपडेट करवा लें।
राज्य सरकारों की भूमिका और संभावित असर
राज्य सरकारें भूमि अभिलेखों को डिजिटल करने, 7/12, खसरा–खतौनी, प्रॉपर्टी कार्ड आदि को ऑनलाइन उपलब्ध कराने और इन्हें कानूनी रूप से मजबूत बनाने पर काम कर रही हैं।
इसका असर यह होगा कि:
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लोगों को जमीन का रिकॉर्ड देखने के लिए दफ्तरों के चक्कर कम लगाने पड़ेंगे
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बिचौलियों और दलालों की भूमिका घट सकती है
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कोर्ट में चल रहे जमीन विवादों में डिजिटल रिकॉर्ड महत्वपूर्ण सबूत के रूप में सामने आएगा
कुछ विशेषज्ञों की चिंता भी है कि नियम बहुत सख़्त और तकनीकी होने पर छोटे किसानों या कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल हो सकती है। इसलिए ज़रूरी है कि सरकार साथ में हेल्पडेस्क, लोक सेवा केंद्र और कैंप के ज़रिए लोगों की मदद भी बढ़ाए।
आम नागरिक अभी से क्या कर सकते हैं?
अगर आपके पास कोई जमीन, मकान या फ्लैट है, तो आप अभी से कुछ तैयारी कर सकते हैं:
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अपने गांव/शहर के भूमि रिकॉर्ड पोर्टल या राजस्व कार्यालय से अपनी जमीन की एंट्री चेक करें
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अगर नाम, क्षेत्रफल या खसरा नंबर में गलती है, तो उसे सुधारने के लिए आवेदन करें
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परिवार में पुराने बंटवारे या मौखिक समझौते को आधिकारिक mutation के ज़रिए रिकॉर्ड में दर्ज करवाएँ
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जब ULIN की सुविधा उपलब्ध हो, तो अपने प्लॉट के लिए यूनिक नंबर की स्थिति ज़रूर पता करें
निष्कर्ष: कागज़ से डिजिटल की ओर बड़ा कदम
Land Registry Rules 2025 भारत के भूमि सिस्टम को कागज़ के ढेर से निकालकर एक आधुनिक, डिजिटल और पारदर्शी व्यवस्था की ओर ले जाने की कोशिश है।
ULIN और Digital Record of Rights के ज़रिए:
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जमीन की असली स्थिति ऑनलाइन पता चल सकेगी
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धोखाधड़ी और फर्जी रजिस्ट्री पर काबू पाया जा सकेगा
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खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए स्पष्ट नियम और जिम्मेदारियाँ तय होंगी
शुरुआत में यह बदलाव थोड़ा कठिन या जटिल लग सकता है, लेकिन लंबे समय में इससे प्रॉपर्टी मार्केट में भरोसा, पारदर्शिता और क़ानूनी सुरक्षा मजबूत होगी।